किसी ने बड़े कमाल की बात कही है ।
इस दुनिया में हमारी प्रॉपर्टी के कई सारे उतराधिकारी हो सकते है ।
लेकिन हमारे कर्मों के उतराधिकारी सिर्फ और सिर्फ हम है।।
आपके लिए एक छोटी सी कहानी एक ऐसे बाबाजी की जो अपने आश्रम से निकले थे शहर में भिक्षा मांगने के लिए। कि चलो आज का गुजारा तो हो जाएगा ।जब वो आश्रम से रवाना हुए।
तो उम्स का माहौल था । तब तक वो सहर तक पहुंचते हल्की हल्की बरसात होने लगी धीरे धीरे वह तेज होने लगी । उस तेज बारिश से भी बाबा जी को कोई फर्क नई पड़ रहा था।
वो भीगते चले जा रहे थे ऊपर वाले का नाम लेते चले जा रहे थे । की वह क्या माहौल बना दिया । वो शहर के चौराहे पर पहुंचे तो देख की वाहा पर एक हलवाई की दुकान थी ।
जो गर्म गर्म जलेबिया निकल रहा था। बाबा जी के मुंह में पानी आ गया । उन्हे लगा की अब तो ये खानी है । लेकिन वो हिम्मत नई हो रही थी की जाकर के कैसे सीध भिक्षा मांग ले। हलवाई ने देखा कि बाबा जी दूर खड़े है ।
भूखे लग रहे हैं। लगता है उनको काफी देर से उनको मिला नई है । तो उसने आवाज देकर के बुलाया बाबा जी आइए नाश्ता कीजिए प्रसादी पाइए।
गर्म गर्म जलेबिया एक प्लेट में एक प्लेट में गर्म समोसे लेकर के उसने बाबा जी के सामने रख दिए।
बाबा जी ने प्रसाद ली और उस हलवाई को बहस सारा आशीर्वाद दिया मस्त रहो प्रसंन रहो यसही उन्नति करो 2 - 4 और दुकानों खोल लो बहुत सारा आशीर्वाद देकर के आगे चल दिए।
वो होता है ना जब बारिश तो गड्डो में पानी भर जाता है सड़क में और आपने भी ऐसा किया होगा स्कूल से लौटते वक्त उस पानी को उछलते हुए पैर उसपे मरते हुवे आए होंगे ।
बाबा जी भी वही हरकत करते हुए जा रहे थे । अपनी मस्ती में थे ऊपरवाले का नाम ले रहे थे भजन कर रहे थे ।और चलते चले जा रहे थे।वो पानी उछलते चले जा रहे थे ।
इस बात से बे फिक्र थे की वाहा और भी लोग चल रहे है ।वो पानी उछला तो पीछे नव विवाहित जोड़ा आ रहा था ।
new coupleथा। वो जो wife थी उसकी साड़ी में जाकर के हल्का सा लग गया ।जो उसका हसबेंड था ।
वो बड़े गुस्से में आ गाय। वो बोला मेरी पत्नी का कपड़े खराब कर दिये इस बाबा ने । दौड़कर के आगे बढ़ा और बाबा जी से उलझ गया।
बहस करने लगा उनको एक के बाद एक अपशब्द कहने लगा । गालियां निकालने लगा उसकी wife आई दौड़ करके । अरे मत करो ना please
छोड़ो ये सब बात अब ignore मारो इन सब बातों को ठीक हो जाएगी। साड़ी धो लेंगे नई साड़ी ले लेंगे वह काफी कुछ समझा रही थी।
लेकिन वह कन्वेंस (convince)नहीं हो रहा था । वह लड़का गुस्से में उसका गुस्सा बढ़ते जा रहा था wife भी पीछे गई।
गुस्से गुस्से में वह लड़का उस पति ने बाबा जी को एक थप्पड़ रसीद कर दी ।जोर का थप्पड़ मारा ।
बाबा जी धड़ाम से जमीन पर गिर गए जमीन पर गिरे तो आसमान को देखकर बोले वाह ऊपर वाले क्या माया है ।
कभी गरम समोसे कभी गरम जलेबी और अभी गरम गरम थप्पड़ । आप की माया आप ही जाने ,ये बोलकर के फिर से उठ खड़े हुए ।
और चलने लगे new couple भी आगे आगे जा रहा था । अपने घर के लिए लड़का कहते जा रहा था कैसे-कैसे लोग हैं।
बड़बड़ाते जा रहा था और स्पीड (Speed) में अपने घर की तरफ बढ़ गए पहुंच गए । घर पर ये जो कपल था पति पत्नी उनका घर थोड़े हाइट पर था।
सीढ़ियां चढ़कर जाना था वो बरसात हुई थी तो सीढ़ियां गिली थी। गुस्से में था , ये लड़का उसका पैर फिसल गया ।
जब वो जमीन पर गिरा तो उसके सिर पर चोट लग गई खून निकलने लगा बेहोश हो गाय।
वाइफ ने आवाज लगाकर सब को बुलाया आइए मेरी मदद कीजिए मेरे पति गिर गए हैं ये वो।
भीड़ इकट्ठी हो गई लोगों ने पूछा तो पत्नी कहने लगी कि वो बाबाजी पीछे मिले थे उसने जरूर श्राप दिया है मेरे पति को क्योंकि इन्होंने अभी थप्पड़ मारी है।
ना बाबा को तो बाबा ने गुस्से में आकर के श्राप दिया है इसीलिए मेरे पति बेहोश हो गए है ।
वो बहुत रोती जा रही थी ।
उस भीड़ में कुछ लड़के थे जिन को लगा कि बाबा को सबक सिखाना पड़ेगा । मतलब इतनी हिम्मत कि इस लड़के ने एक थप्पड़ मार दिया तो उसे श्राप दे दिया।
वो लड़का गिर गया बेहोश हो गया जरूर बाबा ने कुछ टोना टोटका किया है । दौड़कर वो लड़के जो थे।
पीछे से बाबाजी आ ही रहे थे उनको घेर लिया मारने की तैयारी करने लगे तभी बाबा जी ने कहा रुको रुको एक बात बताओ मार क्यों रहे हो।
तो लड़कों ने कहा आपने श्राप दिया है ना उस पति को, जिसने आपको थप्पड़ मार दिया था। इसलिए आपकी पिटाई होगी। आप को श्राप देने की जरूरत ही क्या थी।
बाबा जी ने कहा तुम्हें पता है ? उसने थप्पड़ क्यों मारी, तो लड़कों ने कहा हमें नहीं पता क्यों मारी तो बाबा जी ने कहा कि वो लड़का ने मुझे थप्पड़ इसलिए मारी क्योंकि उसकी जो यार हैं ।
उसकी पत्नी है उसके कपड़े मेरी वजह से खराब हो गए थे मैं पानी उछलता चले जा रहा था ।
मैंने उसकी यार के कपड़े खराब कर दिए क्यों इतने मुझे थप्पड़ मार दी।
तुम्हें मालूम है मेरा यार कौन है मेरा यार ऊपरवाला है उस ऊपरवाले ने जब देखा कि उसके यार को थप्पड़ पड़ी है ।तो उसे भी बदले में कुछ तो करना ही था ।
तो सायद उसने बदले में कुछ कर दिया। मैंने मेरी तरफ से कोई श्राप नही दिया । वो ऊपरवाले की माया वही जाने लड़के भी पीछे हट गए ।
बाबा जी मन मस्त चाल में चलते चले गए ।
कहानी तो खत्म हो गई है लेकिन कहानी का सार सिर्फ इतना है की आपका विश्वास ऊपरवाले पर है ।आप हमेशा सिर्फ उस पर भरोसा रखते है तो सब कुछ अच्छा होगा ।
और दूसरी बात कर्म है उसका रिजल्ट है उसका वापस आएगा। वो फल आपको ढूंढ निकाले गा। इसलिए मैं शुरुआत में कहा आपके प्रॉपर्टी के बहुत सारे उतराधिकारी हो सकते है
वारिस हो सकते है ।लेकिन आपके कर्म के सिर्फ और सिर्फ आप वारिश है ।
कुछ उल्टा किया है तो कुछ उल्टा भुगतना पड़ेगा ।।
एक बार फिर आपसे वही कहना चाहता हु
कर दिखाओ कुछ ऐस।
दुनिया करना चाहे आपके जैसा।।
Comments
Post a Comment