कितने बड़े कमाल की बात कही है।
कि दुनिया में घूमने के लिए बहुत सारे सुंदर स्थान हैं। लेकिन सबसे सुंदर स्थान आंखें बंद करके अपने भीतर देखना।
नमस्ते दोस्तों मैं हूं Rjvijay
एक बहुत ही छोटी सी कहानी हैै
एक बहुत ही बड़े बिजनेसमैन की जिसने बहुत सारा पैसा कमा लिया था
लेकिन अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि असली शांति मिलेगी कहां जब जीवन में आप सब कुछ अचीव कर लेते हैं तो अंदर से एक खालीपन लगने लगता है।
तब आपको समझ में आता है बहुत कुछ है जो मुझसे छूट गया
उस अमीर आदमी को बेचैनी रहती थी उसको किसी ने बताया एक महाराज है शहर के बाहर एक आश्रम है धूप बहुत सारे सिद्धियां जानते हैं तुम्हारी समस्या का समाधान बताएंगे।
वह अमीर आदमी है पहुंच गया आश्रम में। कुछ दिन तक तो गुरु महाराज के दर्शन भी नहीं मिले।
तो किसी ने बताया कि आपको थोड़ा तपस्या करना होगा थोड़ा आपको आश्रम का नियम है उनको फॉलो करना होगा आप अपने हिसाब से उठते हैं सोते हैं जागते हैं।
तो दो-तीन दिन और उसने आश्रम के नियम में खुद को डाला और फाइनली उसे दर्शन मैं सवाल पूछने का मौका मिला।
तो उस आश्रम के गुरुजी थे उनसे उसने पूछा मुझे मन की शांति कहां मिलेगी मैंने बहुत सारा पैसा कमा लिया है लेकिन अंदर से शांत नहीं हूं।
तो गुरुजी ने कहा बस आपको एक काम करना है मुझे चुपचाप देखते रहना और कुछ नहीं करना।
तो सेट ने ,वो जो बड़ा बिजनेस मेन था उसने ठीक है ।
पहला दिन उस परीक्षा का या जो वह गुरु जी ने कहा था वह काम शुरू हुआ वह गुरु महाराज जो थे आश्रम के बीच में कुटिया में रहते थे।
उस अमीर बिजनेसमैन से कहां आप बाहर बैठ जाइए गर्मी के दिन थे दोपहरी थी तेज धूप थी, वो धूप में बैठा रहा
और गुरुजी अंदर जाकर के कुटिया में आराम करने लगे पूरा दिन बीत गया।
उस सेट को लगा शायद शाम में कुछ बताएंगे उसने बताया नहीं।
दूसरा दिन था फिर से वह पहुंचा उनके दर्शन किए उनसे वही सवाल रखा बता दिया मैं चुपचाप कर रहा हूं देखते रहो।
आज उस अमीर बिजनेसमैन को छाया मे बैठने का मौका तो दिया।
लेकिन उसे खाने के लिए उसे कुछ नहीं दिया और उसके ठीक सामने वह गुरु महाराज जो थे वह बढ़िया पकवान खाते रहे थाल आते रहे नाश्ता चलता रहा भोजन होता रहा। कुछ ना कुछ खाते रहे। लेकिन उससे खाने को कुछ नहीं दिया शाम हो गई।
उस अमीर बिजनेसमैन का दिमाग ठनक , पता नहीं क्या करवा रहे हैं।
तीसरा दिन आया अबकी बार उसे खाने के लिए भी दिया। उसे छाया में भी बैठाया उसे कह देखते रहो उसी के ठीक सामने गुरु महाराज जो थे वो ध्यान में बैठ गए और बैठे रहे तीन चार घंटों तक शाम हो गई उसे कुछ नहीं कहा।
चौथे दिन उससे रहा नहीं गया बहुत हो गया आपका
आप मुझे कुछ बता नहीं रहे हैं समझ नहीं आ रहा है चाहते क्या हैं आप?
तो उन गुरु महाराज ने कहा मैं तो आपको पहले दिन ही समझा दिया था। जिस दिन मैंने तुम्हें धूप में बैठाया था और मैं अंदर कुटिया में था उस दिन ही समझा दिया था कि मेरे हिस्से की छाव तुम्हारे हिस्से नहीं आएगी।
दूसरे दिन तुम्हें भूखा रखा था उस दिन तुम्हें समझ आया मेरे हिस्से का भोजन तुम्हारे हिस्से नहीं आएंगे तुम्हारे काम नहीं आएगा।
तीसरे दिन तुम्हें समझाया मेरे हिस्से का ध्यान मेरे हिस्से का योग तुम्हारे काम नहीं आएगा कोशिश तो तुम्हें ही करनी होगी। अगर तुम वाकए में मन की शांति चाहते हो तो अपने मन के भीतर झांकना शुरू करो, ध्यान करना शुरू करो, किसी और से तुम्हें मन की शांति मिल जाए ये संभव ही नहीं है ।
एक छोटे से कहानी सिखाती है लाइफ मैं परेशानी जो हो दुनिया में कोई भी आपको उसका सलूशन नहीं दे सकता ब-सर्त आप खुद आप उसका सलूशन ढूंढना शुरु ना करें अगर आप जीवन में मन की शांति चाहते हैं लाइफ में कुछ पाना चाहते हैं तो प्रयास आपको करना होगा कोशिश आपको करनी होगी अपने अंदर झांकना होगा, अपने आपको इमानदारी से एनालाइज करना होगा और समझना होगा जानना होगा कमियां कहां है? उन कमियों पर काम करना होगा।
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