इंसान चाहे महंगे से महंगे लिबास खरीद ले लेकिन अपने खराब किरदार को नहीं छुपा सकता बाई by rjvijay motivational story
किसी ने बड़े कमाल की बात कही है।
इंसान चाहे महगे से मंहगे लिबास खरीद ले।
लेकिन अपने खराब किरदार को नई छुपा सकता ।।
नमस्ते दोस्तों मैं हूं। rj vijay
एक बहुत ही छोटी सी कहानी है।पुराने जमाने के राजा के दरबार में एक बहुत ही प्रसिद्ध राजपुरोहित थे बहुत ही विद्वान थे
जब वो आते थे दरबार में सबाकर में तब राजा अपने सिंहासन से खड़ा हो जाता था।
और तब तक खड़ा रहता था जब तक वह राजपुरोहित अपने अर्जुन पर ना बैठ जाएं।
इतना उनका सम्मान करता था ।
1 दिन राजा के मन में एक ख्याल आया सवाल आया तो उसने पूछ लिया राजपुरोहित जी से भरे दरबार में कि आप यह बताइए इस दुनिया में व्यवहार बड़ा होता है महत्वपूर्ण होता है या ज्ञान महत्वपूर्ण होता है।
आचरण बड़ा है या ज्ञान बड़ा है।
राजपुरोहित को वो जो सवाल था। बड़ा भारी सा लगा। यह तो बड़ा प्रश्न कर लिया लगा।
उन्होंने कहा थोड़ा समय दीजिए मैं सोच करके बताऊंगा दो-तीन दिन परेशान रहे घर पर जाते बात नहीं करते तो पत्नी ने पूछ लिया कि
क्या बात हो गई आप बड़े परेशान से हैं।
तो उन्होंने बता दिया कि राजा साहब ने एक सवाल ऐसा कर लिया जिसका उत्तर ढूंढने में मुश्किल हो रही है।
तो उनकी पत्नी ने राजपुरोहित जी को एक आईडिया दिया कि आप एक काम कीजिएगा, इससे आपको उत्तर मिल जाएगा।
तो उन्होंने कहा ठीक है। राजपुरोहित जी की जो पकड़ थी। जो पहुंच थी वो पूरे महल में थी।
वो खजाने के पास गए और जाकर के चुपके से दो मोती चुरा लिए।
खजांची जो था वह ये सीन देख लिया। उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ , राजपुरोहित जी इतने सामान्य व्यक्ति हैं। और यह चोरी कर रहे हैं । दो मोती चुरा रहे हैं। लेकिन फिर से लगा हो सकता है किसी जरूरत में होंगे। ऐसे तो कर नहीं सकते सब कुछ इनका ही तो है। तो उसने कुछ बोला नहीं।
दूसरे दिन फिर से गए जा कर के फिर से चुरा लिए।
फिर से खजांची ने कुछ नहीं बोला चलो ठीक है फिर से जरूरत होगी।
तीसरे दिन चौथे दिन पांचवे दिन जब पहुंचे तो खजांची से रहा नहीं गया जाकर के राजा को बताया। की राजपुरोहित जी आ रहे हैं और चुपके चुपके यहां से मोती चुरा रहे हैं।
राजा को भी विश्वास नहीं हुआ उसने मंत्री को कहा जांच बैठाइए यह फटाफट पता लगाया क्या वाक्य में ऐसा हो रहा है
एक-दो दिन में उसकी रिपोर्ट आ गई। बता दिया मंत्री ने है राजा जी वाकई में ऐसा हो रहा है।
राजपुरोहित रोज आ रहे हैं आकर के मोती चुरा रहे हैं।
जिस दिन राजा को ये बात पता चली उसके अगले दिन दरबार लगा। राजपुरोहित जी आए तो राजा अपने सिंहासन से नहीं उठा दिमाग खराब हो गया । क्या मैं इनका सम्मान कर रहा हूं। ये तो चोरी कर रहे हैं।
राजपुरोहित जी आए और अपने आसन पर बैठ गए! जितने दरबार में लोग थे सब यह देख रहे थे क्या हो रहा है।
राजा साहब सम्मान क्यों नहीं कर रहे हैं।
राजपुरोहित को समझ में आ गया कि मेरी दवाई काम कर गई।
राजा साहब से हिम्मत नहीं हो पा रही थी यह पूछने की लेकिन फिर भी पूछा कि। एक बात बताइए राजपुरोहित जी क्या आप चोरी कर रहे हैं।
तो उन्होंने कहा हां मैं कर रहा हूं ।
राजा ने कहा आप मोती चुरा रहे हैं।
उन्होंने कहा हां मैं चुरा रहा हूं ये लिजीये आपके सारे मोती। वे देने लगे राजा को।
तो राजा ने कहा जब मोती मुझे ही देने थे तो आपने चुराए क्यों।
राजपुरोहित जी ने कहा इसलिए चुरा रहा था ताकि आपके सवाल का जवाब दे सकूं। आपने पूछा था व्यवहार बड़ा या ज्ञान बड़ा होता है।
आज भी मेरे पास उतना ही ज्ञान है जितना कल था। ज्ञान में कोई कमी नहीं आई है।
लेकिन आपको मालूम चला मैं चोरी करता हूं इसलिए आप मेरा सम्मान कम करने लगे हैं। आज आप अपने सिंहासन से उठ खड़े नहीं हुए।
आपने आज मुझसे अच्छे से बात नहीं की।
क्योंकि आपको मेरा आचरण मालूम चला आप मुझसे नाराज हो गए ज्ञान तो मेरे पास आज भी उतने ही हैं। वो चुराया मैंने इसलिए थे। इस बात का पता लगा सकूं बड़ा कौन है।
छोटी सी कहानी सिखाती है ज्ञान चाहे आप जितने इकट्ठा कर ले अगर उसे इंप्लीमेंट नहीं करते हैं। बिहार में नहीं डालते हैं आचरण मैं नहीं डालते हैं तो किसी काम का नहीं है। जब तक आप बिहेवियर चेंज नहीं करेंगे चीजें नहीं बदलेंगे। चाहे आप जितना ज्ञान इकट्ठा कर ले किताबें पढ़ने वीडियो देख ले आर्टिकल पढ़ने आप अपने बिहेवियर में नहीं लाएंगे सब वेस्ट है
एक बार फिर से इस बात के साथ ऊपर वाले के आशीर्वाद के साथ अपनी मेहनत अपनी के प्यार के साथ
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