एक वो है जो देता बेहिसाब है और हम हैं जो नाम भी जपते हैं गिन गिन कर। प्रभु श्री राम की कहानी जो सिखाते हैं सरलता किस चीज में होती है। By rjvijay
किसी ने बड़े कमाल की बात कही है
एक वो है जो देता बेहिसाब है
और एक हम है जो नाम भी जपते है गिन गिन कर ।
नमस्ते दोस्तो मैं हूं rj vijay
एक बहुत ही आलसी लड़का था कोई काम नहीं करना चाहता था।
उसे किसी ने बताया ।एक आश्रम है वहा पर जाओ आराम से रहो भोजन मिल जाता है।
बीच में नाश्ता मिल जाता है । उसने कहा बडिया । सारे काम छोड़ कर के उसने कहा बाबा बनूगा।
भोला भला था आलसी था वाहा रहने लगा जो आश्रम में गुरु जी जो थे उस समय पर प्रवचन देते थे आराम करता था भोजन करता था सो जाता था भरपूर भरपेट खाना मिलता था।
महीना खत्म होने को आया। 1 दिन सुबह खाने में कुछ भी नहीं बना। उसे लगा शायद नाश्ता नहीं मिलेगा।
भोजन तो मिलेगा भोजन के समय में भी भोजन नहीं मिला। दौड़ के गया गुरुजी के पास, कहने लगा आज भोजन क्यों नहीं बना।
गुरुजी ने कहा बेटा आज एकादशी है। जितने आश्रम के सदस्य हैं। सब का उपवास है और तुम्हारा भी उपवास है।
आज भोजन नहीं बनेगा। आलसी था लेकिन भूख बहुत लगती थी । उसने कहा नहीं ऐसा नहीं हो सकता। मुझे तो भोजन करना है।
गुरुजी ने कहा ठीक है। जाओ भंडारे में से ले जाओ सामान बाहर ले जाकर आश्रम में नहीं बनेगा बाहर ले जाकर बना लो याद रखना भोजन बनाने के बाद सबसे पहले भगवान को भोग लगाना फिर तुम प्रसाद पाना।
उसने कहा ठीक है।
वह लड़का अनाज लेकर चला दिया। बाहर जाकर के भोजन पकाने लगा भोजन तैयार हुआ उसके बाद कहने लगा प्रभु श्री राम जी आइए पधारिए भोग लगाइए और उसे लगा भगवान तो आ नहीं रहे हैं भोग लगाने के लिए।
तो वो कहने लगा, मुझे मालूम है आपको तो अच्छा खाने की आदत है। मैं ना नहीं पाया मुझे बनाना नहीं आता। रुखा सुखा जो बना ।
भगवान श्रीराम उसकी सरलता पर प्रसन्न हो गए और दर्शन दर्शन दे दिए उसने देखा कि भगवान श्री राम आए हैं और साथ में मां सीता भी आई है।
उसने 2 लोगों का भोजन बनाया था एक अपना और दूसरा भगवान का अब क्योंकि मां सीता भी आई थी भगवान श्रीराम भी आए थे तो उसने वो प्रसादी भगवान को उनके ग्रहण करने के लिए उनके सामने रख दिए ।
भगवान श्रीराम ने मां सीता ने भोजन किया और उसके बाद वो जाने लगे तो इस भक्त ने भोला सा आलसी सा था।
प्रभू आप आए आपके दर्शन हुए बड़ा अच्छा लगा मुझे खाने को कुछ भी नई मिला लेकिन कोई बात नई बस एक आपसे विनती है। अगली बार जब आप आए तो आप लोग कितने लोग आएंगे यह पहले बता दे ।
ताकि मैं इतने लोगों का भोजन बना के रखू ।
भगवान श्रीराम मन मन मुस्काएं और अंतर्ध्यान हो गए।
ये आश्रम में गए फिर इनका रूटिंग चलने लगा एकादशी आए फिर वह अनाज लेकर के चला अबकी बार इसने 3,4 लोगों के लिए लिया की भगवान श्रीराम अपने साथ में कोई न कोई ले करके आते हैं ।
तो इसने बड़ी प्रशंसा से भोजन बनाया।और ये इंतजार करने लगा प्रभु आए फिर से वही कहने लगा प्रभु आइए भोजन पाइए प्रभु आइए भोजन पाइए।
और अबकी बार देखता है की प्रभु पूरी राम दरबार लेकर के आए है ।
भगवान श्रीराम,मां सीता, भ्राता लक्ष्मण ,सत्रुधन,भारत, हनुमान जी सब आए हैं।
और इसमें तीन चार लोगों का भोजन बनाया है अबकी बार फिर कम पड़ गया।
इसका दिमाग ठनक गया इसने कहा कोई बात नहीं। इसने प्रसादी ग्रहण करने के लिए उनके सामने रख दी खाए चले गए अबकी बार फिर से भूखा रह गया।
फिर से आश्रम गया वही रूटीन चलने लगा फिर एकादशी आई गुरुजी को कहने लगा अबकी बार मुझे ज्यादा अनाज चाहिए ।
गुरुजी के दिमाग ठनका कर क्या रहा है। यह कहीं ले जा ले जा कर बेच तो नहीं रहा है। तो उसने कहा ठीक है टीक है। भूख से परेशान रहता है।
इसने कहा नहीं मैं परेशान नहीं रहता हूं। बहुत लोग आते हैं प्रभु के साथ उनका भी तो भोजन कराना रहता है।
तो गुरु जी को लगा पागल हो गए हैं।
लेकिन गुरु जी ने एक सोचा कि चल कर देखते हैं कर क्या रहा है इस अनाज का।
वो जो भक्त था भोला सा ले करके पहुंचा सारा अनाज ले कर के पहुंच गया नदी के किनारे और प्रेम से बुलाने लगा लेकिन अबकी बार उसने भोजन बनाया नहीं था उसने सोचा मैं सामान रख लेता हूं वो आएंगे जितने आएंगे खुद बना कर खा लेंगे।
गुरुजी चुप करके यह सारे देख रहे थे। इसने भोजन तो बनाया नहीं है और बोल रहा है प्रभु आओ प्रसादी पाव प्रभु आओ प्रसादी पाव।
वह भक्त देखता है कि वाक्य में भगवान श्री राम पधारे हैं और उनके साथ में बहुत सारे लोग आए हैं।
तो उसने हाथ जोड़कर कहा प्रभु माफ करना आप बहुत सारे आते हैं मुझे संख्या पता नहीं होती है मुझे हिम्मत नहीं कि मैं इतने लोगों का भोजन बनाऊं।
आप स्वयं आइए बनाइए खाइए प्रसादी पाइए तो भगवान श्रीराम मुस्कुराए और बाकी सारे राम दरबार कि आओ भाई सब भोजन बनाते हैं।
जो गुरुजी जो थे वो चुप कर सब देख रहे थे समझ नहीं पा रहे थे कर क्या रहा है।
दौड़कर आय तुमने अभी तक भोजन बनाया नहीं है कर क्या रहे हो देख क्या रहे होतो उसने कहा गुरु जी आपको दिख नहीं रहा है।
भगवान श्रीराम पधार चुके हैं मां सीता जी आई हैं हनुमान आए हैं सब आए हैं भोजन बन रहा है।
गुरुजी ने कहा पागल हो गया है मुझे तो कुछ भी नहीं दिख रहा है।
ये जो भोला सा भक्त था इसका दिमाग ठनक गया हो क्या रहा है भगवान कर क्या रहे हो एक तो भूखा रखा हुआ है गुरुजी वह दर्शन नहीं दे रहे हो गुरु जी मुझे पागल समझ रहे हैं।
भगवान ने कहा मैं देख नहीं सकता
तो उस भक्तों ने कहा क्यों नहीं देख सकते हमारे गुरुजी तो बहुत महान हैं गुरुजी बहुत जानते हैं मुझसे भी बड़े ज्ञाता हैं।
भगवान ने कहा हां ज्ञाता होंगे, लेकिन तुम्हारी तरह सरल नहीं है। जो सरलता तुम में है वह गुरुजी में नहीं है।
ये बात भक्तों ने गुरु जी से कह दी गुरु जी भगवान श्री राम जी कह रहे हैं आपने सरलता नहीं है। आप मेरी तरह सरल नहीं हो इसलिए आपको दिख नहीं सकते।
गुरुजी की आंखें नम हो गई रोने लगे,
कहने लगे बिल्कुल सही कहा मेरे अंदर तुम्हारे जैसी सरलता नहीं है।
और माफी मांगने लगे अपने भगवान से,
भगवान ने फिर गुरु जी को भी दर्शन दिए भक्तों को तो दर्शन दे ही दिए थे।
बहुत छोटी सी कहानी है लेकिन सिखाती है जीवन में सरलता सबसे आवश्यक है जितने सरल बने रहेंगे उतना जीवन में आगे बढ़ते चले जाएंगे जब आप सरल होते हैं तो खुद भी मुस्कुराते हैं और दूसरों को भी मुस्कुराते की वजह देते हैं।
एक बार फिर से वही बात जो अक्सर आप से कहता हूं। अपनों के प्यार के साथ।
Comments
Post a Comment